Sunday, April 21, 2013

बत्ती बाल के और सम्मी ने मन मोहा






महोत्सव में झलकी फाजिल्का, मलोट और अबोहर की विरासत

ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से आयोजित फाजिल्का विरासत महोत्सव की दूसरी रात हमसाया रही, जो पड़ोसी शहरों को समर्पित थी। इसका आगाज एडीसी चरनदेव सिंह मान और एसपी वरिंद्र सिंह बराड़ ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।
इस मौके पर आबादी यूथ की ओर से पंजाबी गीत 'बत्ती बाल के बनेरे उत्ते रखनी आं' पर बच्चों की ओर से कोरियाग्राफी प्रस्तुत की गई। जबकि युवतियों की ओर से शम्मी गीत पर पंजाबी विरासत की झलक पेश की गई। इस मौके पर संस्था के पैटर्न डॉ. भूपिंद्र सिंह, प्रधान एडवोकेट उमेश कुक्कड़, सचिव नवदीप असीजा, प्रफुल्ल नागपाल, एडवोकेट राजेश अंगी, राकेश नागपाल, संदीप अबरोल, फ्रेंडस हेल्थ जिम के सदस्यों के अलावा अन्य मौजूद रहे। इस मौके पर पड़ोसी शहर मलोट से सिटी अवेयरनेस सोसायटी के सचिव रोहित कालड़ा के नेतृत्व में टीम पहुंची। (लछमण/झांब)

कार्यक्रम की शुरुआत में लाफ्टर चैलेंज में अपनी अदा के जोहर दिखाने वाले हरविंद्र सीचा ने कॉमेडी से दर्शकों को लोटपोट कर दिया। मलोट के इतिहास की पहेली को दूर करने वाले रोहित कालड़ा ने इस बारे में विस्तृत जानकारी दी और फाजिल्का से मलोट के रिश्ते को भी दर्शकों के समक्ष रखा। सूफी गायक विनोद खुराना परवाज ने कविताओं से मंत्रमुग्ध किया। लेखक व कवि रिषी ह्रदयपाल ने पंजाब के बदलते सभ्याचार पर कविता 'बदल गया साडा सभ्याचार' प्रस्तुत करके युवाओं को सभ्याचार न भूलने की नसीहत दी। गीतकार कुलबीर कोटभाई के लिखित मलोट के प्रथम गीत वासी हां असी मलोट दे पर भंगड़े ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया।

दर्शक हुए लोटपोट
महोत्सव में अबोहर की नटरंग टीम की ओर से भूपिंद्र उतरेजा के निर्देशन में 'नई शुरुआत' नाटक प्ले किया गया। इस मौके पर सुनील वर्मा ने मिमिक्री करके विभिन्न कलाकारों और जानवरों की आवाजें निकालकर दर्शकों को हैरान कर दिया। इसके अलावा अबोहर के कुलजीत भट्टी, विष्णु नारायण, मोहित कालड़ा, लोकेश नागपाल, संदीप शर्मा, कश्मीर लूना, मोहित नरूला, हनी तरेजा आदि ने भी अपनी कला के जोहर दिखाए।

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