Saturday, May 4, 2013

नाड़ का जैविक खाद के रूप में कर रहे हैं प्रयोग

अमृत सचदेवा/ नितिन कटारिया, फाजिल्का : कहते हैं कि काम को शुरू करने की देरी होती है, खत्म वह खुद-ब-खुद हो जाता है। जब तक किसान नाड़ को समस्या के रूप में लेते रहे, तब तक वह उसमें आग लगाकर अपनी जमीन व पर्यावरण को ही नुकसान पहुंचाते रहे। लेकिन अब सरकार और स्वयंसेवी संगठनों के प्रयास के बाद किसान वसुंधरा का महत्व समझने लगे हैं। प्रमुख कृषि सेवा कंपनी जमींदारा फार्म साल्यूशंस के सोशल विंग द्वारा शुरू किए गए कर्ज मुक्त किसान अभियान से जुड़े करीब आठ सौ किसान नाड़ को आग लगाने से तौबा कर लिए हैं। अब वे नाड़ आधुनिक मशीनों के जरिए नाड़ कुतरकर उसका जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि करीब तीन साल पहले फिरोजपुर के तत्कालीन डीसी कमल किशोर यादव ने जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के फाजिल्का स्थित मुख्यालय में अभियान से जुड़े करीब दो सौ किसानों को शपथ दिलाई थी कि वे नाड़ नहीं जलाएंगे। उनकी प्रेरणा से अब तक फाजिल्का, फिरोजपुर व श्री मुक्तसर साहिब जिले में अभियान से जुड़ने वाले किसानों की संख्या आठ सौ हो गई है। इस अभियान से जुड़े किसानों ने इस वर्ष करीब 15 हजार एकड़ क्षेत्र में खड़ी नाड़ को आग नहीं लगाई।

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क्या है कर्ज मुक्त किसान अभियान

फाजिल्का: इस अभियान के तहत किसानों को कर्ज लेकर ट्रैक्टर व महंगे कृषि यंत्र खरीदने की बजाए कोआपरेटिव सोसायटी या कृषि सेवा कंपनियों से किराए पर उपकरण लेकर खेती का खर्च कम करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी अभियान के तहत नाड़ जलाने की बजाय उसे आधुनिक बेलर मशीनों से गांठें बनाकर बेचने के लिए भी प्रेरित किया जाता है। जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के एमडी विक्रम आहूजा व अनु नागपाल ने बताया कि बेलर मशीन आपरेटर किसानों के खेत में नि:शुल्क काम करते हैं। वह किसान से पैसा लेने की बजाय काटी गई गांठें मेहनताने के रूप में ले जाते हैं। वहीं, किसान को अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए होने वाला करीब दो हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च कम हो जाता है।

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